Department of Hindi Literature
हिंदी विभाग
विभाग के बारे में
हिंदी विभाग का स्थापना वर्ष 1997 है एवं वर्ष 2006 में स्नातकोत्तर कक्षा आरंभ हुई, हिंदी विभाग विद्यार्थियों के सम्पूर्ण विकास के लिए हमेशा सन्नद्ध रहा है । हिन्दी विभाग पाठ्यक्रम प्रशिक्षण के अलावा छात्राओं के बौद्धिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के लिए सतत प्रतिबद्ध है। साहित्य, भाषा, मीडिया, रंगमंच, सिनेमा और अनुवाद, हिन्दी के वैश्विक परिदृश्य से जुड़े प्रश्नपत्रों का अध्ययन-अध्यापन अपनी प्रकृति में अंतःविषयी और वैश्विक है।
हिन्दी विभाग नई चुनौतियों को स्वीकार करते हुये शोधपरक कार्यों में संलग्न है.विद्यार्थियों में लोक और शिष्ट साहित्य को आधुनिक दृष्टि से परखने की योग्यता विकसित करना, लोक और विश्व के दौर में अपना स्थान निर्धारित करते हुए लोक का विश्व से और विश्व का लोक से अंतर संबंध स्थापित करना हमारे अध्ययन का उद्देश्य है,
लक्ष्य
(1)ज्ञानात्मक लक्ष्य- ज्ञानात्मक लक्ष्यों से आशय हिन्दी भाषा व हिन्दी साहित्य का ज्ञान छात्रों को देना है।
(2) कौशलात्मक लक्ष्य- कौशलात्मक लक्ष्यों से आशय हिन्दी भाषा के पढ़ने-लिखने, बोलने, सुनने, अर्थग्रहण करने का निष्पादन विद्यार्थियों में उत्पन्न करना है। इन कौशलात्मक क्रियात्मक लक्ष्यों में प्रमुख हैं-
(3) रसात्मक लक्ष्य- विद्यार्थी पाठ पढ़कर उसका रसास्वादन कर सकें तथा उनमें भाषायी एवं विषयात्मक वैशिष्ट्य को समझने की क्षमता विकसित हो यह रसात्मक लक्ष्य का प्रयोजन है|
(4) सृजनात्मक लक्ष्य- भाषा व साहित्य की विभिन्न विधाओं और शैलियों को पढ़कर विद्यार्थी कविता, कहानी, एकांकी, डायरी लेखन, आत्मकथा, जीवनी आदि लिखने का आरंभिक प्रयास कर सकें यह सृजनात्मक लक्ष्य हिन्दी शिक्षण मे आवश्यक है।
(5) समीक्षात्मक लक्ष्य- विद्यार्थियों को हिन्दी शिक्षण का समीक्षात्मक लक्ष्य उनमें यह क्षमता उत्पन्न करना है कि वे पाठ की अच्छाइयों की परख करने में समर्थ हों।
(6) अभिवृत्यात्मक लक्ष्य- छात्रों की अभिवृत्ति या दृष्टिकोण के विकास के लिए भाषा शिक्षण आवश्यक होता है ।
दृष्टि
• गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना और हिंदी साहित्य का ज्ञान प्रदान करना
• हिंदी भाषा के ज्ञान में सुधार।
• संचार एवं शैक्षिक कौशल में सुधार।
• रोजगार के लिए उपयुक्त योग्यता में सुधार
• स्वरोजगार के कौशल का विकास करना।
• उच्च शिक्षा के लिए उपयुक्त बनाना।
• नैतिक, मानवीय एवं नैतिक मूल्यों का विकास करना
• आत्मविश्वास और अनुसंधान की प्रवृत्ति विकसित करना।
• छात्रों को समाज की समस्याओं से जोड़ें।
• हिंदी में नवीनतम रुझानों (जैसे प्रशासनिक पत्र-लेखन आदि) से परिचित कराना।
उद्देश्य
• कार्यशालाओं, सेमिनारों, कक्षा सेमिनारों और असाइनमेंट की सर्वोत्तम प्रथाओं आदि के माध्यम से हिंदी के ज्ञान में गहराई से सुधार करना।
• प्रतियोगिताओं, सेमिनारों की सर्वोत्तम प्रथाओं, परियोजना कार्यों, मूल्य वर्धित पाठ्यक्रमों के संचालन के माध्यम से शैक्षिक और संचार कौशल में सुधार करना और छात्र बोलना, लिखना, सुनना, पढ़ना और समझना जैसे सभी कौशल में दक्षता प्राप्त कर सकते हैं।
• संचार कौशल विकसित करने, जागरूकता कार्यक्रम और क्षेत्र यात्राओं के माध्यम से रोजगार क्षमता में सुधार करना।
• हिंदी साहित्य का गहन ज्ञान देकर, कार्यशालाओं, सेमिनारों और परियोजनाओं के माध्यम से उच्च शिक्षा के लिए उपयुक्त बनाना।
• साहित्य और उसके मूल विषयों के माध्यम से आत्मविश्वास और स्वतंत्र सोच विकसित करने वाले मूल्यों का विकास करना।
• इन सभी गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का प्रयास किया जा रहा है।